Wednesday 10 April 2019

रंग इतने चटख हैं आज-कल

रंग इतने चटख हैं आज-कल,
कि बीनाई खतरे में है आज-कल

जो, मैं नहीं हूँ, तो फ़िर क्यों
वोही बनाने पे तुली है दुनिया आज-कल

कब तक यस-सर यस-सर करें
पैर का अंगूठा बहुत याद आ रहा है आज-कल

कहते हैं दुनिया हसीन  ख्व़ाब है दीवाने का
मेरी क्यों 'नाईटमेयर' हुई जाती है आज-कल

'ह्यूमन बोम्ब' नज़र आते हैं सब
जिसे देखो फटने को तैयार है आज-कल

सोने के बाद और नींद आने  से पहले
ज़िन्दगी कितनी बदल गई है आज-कल

बहलाते- बहलाते यहाँ तक आया था
बहलाया जाने लगा हूँ आज-कल

'सर्वाइवल ऑफ़ दी फिट्टेस्ट' कुछ ज्यादा ही हो गया है
ज़िन्दगी की गाडी 'रिज़र्व' में आ गई है आज-कल

'मीटर और नो मीटर' 'आई गिव अ डैम'
ऐसा -सा कुछ हाल है आज-कल

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