मर मर के रोज़ ही जीते हैं
चल आज तो खुल के जीते हैं
अब बस दफ़्तर और नहीं
कुछ तो भी कर चल जीते हैं
हैरान हूँ अब रफ़्तार से मैं
ज़रा रुक तो सही चल पीते हैं
अब बस भी कर चल जीते हैं
अब शाम हुई चल पीते हैं
भेजे की बस कर दिल की सुन
अब दिल की प्यास में पीते हैं
अब होश की बात का नाम न ले
चल बे-होशी तक पीते हैं
उम्मीद पे दुनिया क़ायम है
अब छुट्टी है चल जीते हैं
हर मोड़ पे मुश्किल ताक़ में है
मुश्किल को जीत के जीते हैं
कुछ और जो अब के न हो सके
दो घूँट ज़हर के पीते हैं
चल आज तो खुल के जीते हैं
अब बस दफ़्तर और नहीं
कुछ तो भी कर चल जीते हैं
हैरान हूँ अब रफ़्तार से मैं
ज़रा रुक तो सही चल पीते हैं
अब बस भी कर चल जीते हैं
अब शाम हुई चल पीते हैं
भेजे की बस कर दिल की सुन
अब दिल की प्यास में पीते हैं
अब होश की बात का नाम न ले
चल बे-होशी तक पीते हैं
उम्मीद पे दुनिया क़ायम है
अब छुट्टी है चल जीते हैं
हर मोड़ पे मुश्किल ताक़ में है
मुश्किल को जीत के जीते हैं
कुछ और जो अब के न हो सके
दो घूँट ज़हर के पीते हैं
aalaaaa-o-umdaaaaaa bhai g
ReplyDeleteThank you dost :)
ReplyDeleteले कर हिम्मतों का सुई धागा
ReplyDeleteचल उधड़ी जिंदगी को सीते हैं !
हर मोड़ पे मुश्किल ताक़ में है
ReplyDeleteमुश्किल को जीत के जीते हैं...!
वाह! वे टू गो! :)