ज़िंदा है जो जिग़र में, जज़्बा-ए-जाँनिसारी
जन्नत है ज़िन्दगी ये, जश्न-ए-जहान-ए-फ़ानी*
* नश्वर संसार
नक़्क़ाश की नज़र से नुमायाँ हुआ नमक
कुछ ज़ख़्म पर पड़ा था ग़मख़्वार का नमक
नज़ीफ-ए-नमकख़्वारी* से अदा हुआ नमक
नज़्म की नवाज़िश में दरोगा हुआ नमक
* शुद्ध स्वामिभक्ति
नायाब हो गई है इंसां की जात लेकिन
मज़दूर का पसीना, है और क्या नमक
नमकीन है निहायत आँखों की ये नमी
नौबत यहाँ तक आई, नेमत हुआ नमक
नापाक़ नाख़ुदा की नवाबी है ये नसीहत
अहसान तुझ पे है ये, खाया है जो नमक
चैन-ओ-अमन की निस्बत, यक़ीनन हो बेपनाह
ज़्यादा न हो अगर तो, कम भी न हो नमक
जन्नत है ज़िन्दगी ये, जश्न-ए-जहान-ए-फ़ानी*
* नश्वर संसार
नक़्क़ाश की नज़र से नुमायाँ हुआ नमक
कुछ ज़ख़्म पर पड़ा था ग़मख़्वार का नमक
नज़ीफ-ए-नमकख़्वारी* से अदा हुआ नमक
नज़्म की नवाज़िश में दरोगा हुआ नमक
* शुद्ध स्वामिभक्ति
नायाब हो गई है इंसां की जात लेकिन
मज़दूर का पसीना, है और क्या नमक
नमकीन है निहायत आँखों की ये नमी
नौबत यहाँ तक आई, नेमत हुआ नमक
नापाक़ नाख़ुदा की नवाबी है ये नसीहत
अहसान तुझ पे है ये, खाया है जो नमक
चैन-ओ-अमन की निस्बत, यक़ीनन हो बेपनाह
ज़्यादा न हो अगर तो, कम भी न हो नमक
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