कर्म किए जा फल की इच्छा न कर
बस, यही तो परेशानी है ।
नई सरकार क्रान्ति लाएगी
मुझे ही तो लानी है ।
अफ़सर ने कह दिया तो कह दिया
आप का विचार तो नादानी है ।
आदमी से घोड़ा और घोड़े से गधा हो गया हूँ
लेकिन मुझे घास और घूस नहीं खानी है ।
जब औक़ात भी इंसान की न रहे
ऐसा जीना तो फिर बेमानी है ।
कितने रंग बदलते हैं लोग
उनका ख़ून ख़ून, मेरा ख़ून पानी है ।
बस, यही तो परेशानी है ।
नई सरकार क्रान्ति लाएगी
मुझे ही तो लानी है ।
अफ़सर ने कह दिया तो कह दिया
आप का विचार तो नादानी है ।
आदमी से घोड़ा और घोड़े से गधा हो गया हूँ
लेकिन मुझे घास और घूस नहीं खानी है ।
जब औक़ात भी इंसान की न रहे
ऐसा जीना तो फिर बेमानी है ।
कितने रंग बदलते हैं लोग
उनका ख़ून ख़ून, मेरा ख़ून पानी है ।
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