आँख दिखा न पाई ।
फूलों की खुशी पहचान न पाई ।
बारिश में भीगी पत्तियों की गपशप सुन न पाई ।
चाँद के e-mails पढ़ न पाई ।
बादलों की रूई को समेट न पाई ।
तारों की चादर को ओढ़ न पाई ।
नींद से दिल को उठा न पाई ।
...................दिल पर तो यूँ ही दोष धरते हैं
अाँख ही रास्ता दिखा न पाई ।
फूलों की खुशी पहचान न पाई ।
बारिश में भीगी पत्तियों की गपशप सुन न पाई ।
चाँद के e-mails पढ़ न पाई ।
बादलों की रूई को समेट न पाई ।
तारों की चादर को ओढ़ न पाई ।
नींद से दिल को उठा न पाई ।
...................दिल पर तो यूँ ही दोष धरते हैं
अाँख ही रास्ता दिखा न पाई ।
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