1. है सीधी सच्ची बात मगर सोचते नहीं /
इंसान ही इंसां के लिए सोचते नहीं
2. हुक़्मरान ज़ुल्म किए जाने में माहिर /
मुफ़्लिस की जान के लिए सोचते नहीं
3. बूढ़े शजर को काट के किवाड़ बन गया /
चिड़ियों के घर उजाड़ दिए सोचते नहीं
4. नफ़रत का ज़हर फ़ैल रहा है समाज में /
बुझ रहे चाहत के दिए सोचते नहीं
5. चेहरों पे है नकाब रूह ज़ख़्म-ए-हाल है /
फ़र्ज़ क्या है किस लिए सोचते नहीं
इंसान ही इंसां के लिए सोचते नहीं
2. हुक़्मरान ज़ुल्म किए जाने में माहिर /
मुफ़्लिस की जान के लिए सोचते नहीं
3. बूढ़े शजर को काट के किवाड़ बन गया /
चिड़ियों के घर उजाड़ दिए सोचते नहीं
4. नफ़रत का ज़हर फ़ैल रहा है समाज में /
बुझ रहे चाहत के दिए सोचते नहीं
5. चेहरों पे है नकाब रूह ज़ख़्म-ए-हाल है /
फ़र्ज़ क्या है किस लिए सोचते नहीं
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