अन्दरूनी कश्मकश में हाल ऐसा है कि 'जुर्अत'
सर झुकाओ तो ही पाओ जान की अब अमान बस
सुर्ख़ है मस्तक धरा का खून की होली के बाद
भगवे हरे के दरमियाँ चाहत सफ़ेदी की है बस
सर झुकाओ तो ही पाओ जान की अब अमान बस
सुर्ख़ है मस्तक धरा का खून की होली के बाद
भगवे हरे के दरमियाँ चाहत सफ़ेदी की है बस