वक़्त है कम और काम बहुत है
जीवन में जंजाल बहुत है
खुशियाँ तो खरीदी मण्डी में
जाने क्यों पर दाम बहुत है
ऊपर वाले नीचे आ
देख यहाँ पर धाम बहुत हैं
क्या मैं भी अब कर लूँ सौदा
अना का बिकना आम बहुत है
ज़ख़्म तो आप ही भर जाएंगे
वक़्त यहाँ बलवान बहुत है
नौकरशाही जान की दुश्मन
कहने को आराम बहुत है
झूठ को सच और सच को झूठ
बोलो तो फिर माल बहुत है
कह न देना दिल की बातें
दीवारों के कान बहुत हैं
हार के क्यों बैठूँ मैं, बताओ
अभी तो मुझ में जान बहुत है
मस्ती का सामान बहुत है
जीवन की अब शाम बहुत है
#जुर्अत
जीवन में जंजाल बहुत है
खुशियाँ तो खरीदी मण्डी में
जाने क्यों पर दाम बहुत है
ऊपर वाले नीचे आ
देख यहाँ पर धाम बहुत हैं
क्या मैं भी अब कर लूँ सौदा
अना का बिकना आम बहुत है
ज़ख़्म तो आप ही भर जाएंगे
वक़्त यहाँ बलवान बहुत है
नौकरशाही जान की दुश्मन
कहने को आराम बहुत है
झूठ को सच और सच को झूठ
बोलो तो फिर माल बहुत है
कह न देना दिल की बातें
दीवारों के कान बहुत हैं
हार के क्यों बैठूँ मैं, बताओ
अभी तो मुझ में जान बहुत है
मस्ती का सामान बहुत है
जीवन की अब शाम बहुत है
#जुर्अत
as always - simple and beautiful :)
ReplyDeleteThank you :))
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