एक चीख लगाने का दिल है
रोंधे हुए गले से आवाज़ तो आए
मैं ऐसे ही ठीक था
क्यों फ़िर दुनिया मसीहा बनाए
इम्तिहान के लिए तैयार हैं
शर्त है ख़ुदा पाक-दामन को तो बचाए
सब्र टूट रहा है, और नहीं
पाँच उंगली एक हों और होश ठिकाने आएं
रोंधे हुए गले से आवाज़ तो आए
मैं ऐसे ही ठीक था
क्यों फ़िर दुनिया मसीहा बनाए
इम्तिहान के लिए तैयार हैं
शर्त है ख़ुदा पाक-दामन को तो बचाए
सब्र टूट रहा है, और नहीं
पाँच उंगली एक हों और होश ठिकाने आएं
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