ये क्या जलता सा रहता है सीने में
बुझता है तो बस अश्कों की बारिश में
पत्थर की कायनात के क्या कहने
भर दिया शीशा एक मेरे ही सीने में
खिलौना समझकर खेलते हैं खेलने वाले
हम टूट जाते हैं बस यूँ ही खेल खेल में
काम से काम रखना भी हुनर है
क्यों रोता है फिर ये सुर्ख़ रंग में
कच्चा खिलाड़ी न समझे कोई
पाले नहीं बदलते हम खेल में
बुझता है तो बस अश्कों की बारिश में
पत्थर की कायनात के क्या कहने
भर दिया शीशा एक मेरे ही सीने में
खिलौना समझकर खेलते हैं खेलने वाले
हम टूट जाते हैं बस यूँ ही खेल खेल में
काम से काम रखना भी हुनर है
क्यों रोता है फिर ये सुर्ख़ रंग में
कच्चा खिलाड़ी न समझे कोई
पाले नहीं बदलते हम खेल में
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