आज फिर ख़ुद से मूलाकात हो गई,
खिली धूप में फिर बरसात हो गई
एक छोटा-सा सच बोल बैठा,
जाने क्यों दिन में रात हो गई
अंधे ने रेवड़ी क्या खूब बाँटी,
वज़ीर ले कर भी मात हो गई
इज़हारे-तमन्ना और क्या करता,
आँखों-आँखों में मात हो गई
ये दुनिया है दुनिया 'जुरअत' मियाँ
जहाँ आँखें बंद की घात हो गई
खिली धूप में फिर बरसात हो गई
एक छोटा-सा सच बोल बैठा,
जाने क्यों दिन में रात हो गई
अंधे ने रेवड़ी क्या खूब बाँटी,
वज़ीर ले कर भी मात हो गई
इज़हारे-तमन्ना और क्या करता,
आँखों-आँखों में मात हो गई
ये दुनिया है दुनिया 'जुरअत' मियाँ
जहाँ आँखें बंद की घात हो गई
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