RUMINATIONS
Square peg in a circular hole trying to fit in.
Monday, 9 November 2015
न लिख दूँ कुछ कि फिर अफ़सोस हो
कलम काग़ज मेरे सब छीन लो
सिपाही जंग में माहिर तो है
अदू पर वार का निर्णय तो हो
अब तो ये जान
अब तो ये जान ले ले कोई,
दिला दे निजात जीवन से कोई
सेक लग सकता है ! सावधान
ज़ेहन में आग लगी है कोई
सर दर्द बदन दर्द बहुत हुआ,
अब तो गला ही दबा दे कोई
इम्तिहान बस, और मादा नहीं
अब तो मुआफ़ ही न कर दे कोई
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