लिखता रहा दिल का कहा, जब भी ह्रदय विचलित हुआ
फिर भी शायद सब से बेहतर काम चुप रह के किया
गुस्सा जो निकला, ज़हर का प्याला समझ के पी गया
प्यास फिर भी न बुझी तो पानी में कंकड़ जड़ दिया
फिर भी शायद सब से बेहतर काम चुप रह के किया
गुस्सा जो निकला, ज़हर का प्याला समझ के पी गया
प्यास फिर भी न बुझी तो पानी में कंकड़ जड़ दिया