इस क़दर बेज़ार हैं इंसान से 'जुर्'अत'
ख़ुदाया अब मुझे अगले जनम इंसान मत करना
जानवर कर दे भले ही ख़्वार तू कर दे
गुज़ारिश है मुझे इंसान अब भगवान मत करना
जो माने इल्तिजा मेरी तो इक मामूली चाहत है
शजर कर दे या कर दे फूल, घर गुलदान मत करना
ख़ुदाया अब मुझे अगले जनम इंसान मत करना
जानवर कर दे भले ही ख़्वार तू कर दे
गुज़ारिश है मुझे इंसान अब भगवान मत करना
जो माने इल्तिजा मेरी तो इक मामूली चाहत है
शजर कर दे या कर दे फूल, घर गुलदान मत करना