Saturday 16 August 2014

कर्म किए जा

कर्म किए जा फल की इच्छा न कर
बस, यही तो परेशानी है ।

नई सरकार क्रान्ति लाएगी
मुझे ही तो लानी है ।

अफ़सर ने कह दिया तो कह दिया
आप का विचार तो नादानी है ।

आदमी से घोड़ा और घोड़े से गधा हो गया हूँ
लेकिन मुझे घास और घूस नहीं खानी है ।

जब औक़ात भी इंसान की न रहे
ऐसा जीना तो फिर बेमानी है ।

कितने रंग बदलते हैं लोग
उनका ख़ून ख़ून, मेरा ख़ून पानी है ।

No comments:

Post a Comment